Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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- वाचस्पत्याभिधान (कोश)
चाणक्यनीतिशास्त्र - 20 व्यक्ति को गाड़ी-वाहन से पाँच हाथ दूर चलना चाहिए। सींगवाले हिंसक जीवों से दश हाथ दूर रहना चाहिए और हाथी से सौ हाथ दूर रहना चाहिए, किन्तु दुर्जन से तो उस प्रदेश को ही छोड़कर रहने में सुरक्षा है, जहाँ वह दुर्जन निवास करता है। 283. जड़-चेतन जदत्थिणंलोगे तं सव्वं दुपओआरं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 2559]
- स्थानांग - 220/49 विश्व में जो कुछ भी है, वह इन दो शब्दों में समाया हुआ है-जड़ और चेतन। 284. प्रमाद मत करो .. दुमपत्तए. पंडुयए, जहा निवड रायगणाण अच्चए ।
एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥ _
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 2569]
- उत्तराध्ययन - 100 जैसे वृक्ष के पत्ते समय आने पर पीले पड़ जाते हैं एवं पृथ्वी पर गिर पड़ते हैं, उसीप्रकार मनुष्य का जीवन भी आयु के समाप्त होने पर क्षीण हो जाता है। अतएव हे गौतम ! क्षणभर के लिए भी प्रमाद मत कर । 285. कर्म-रज की सफाई
विहुणाहि रयं पुरे कडं। . - श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 2569]
- उत्तराध्ययन - 10/3 पूर्व संचित कर्म रूपी रज को साफ करो । 286. जीवन बाधाओं से परिपूर्ण
जीवियए बहुपच्चवायए । अभिधान राजेन्द्र कोष में. मुक्ति-सुधारस • खण्ड-4 . 129