Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 04
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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जो देव, मनुष्य और तिर्यञ्च सम्बन्धी मैथुन का मन वचन और काया से कभी सेवन नहीं करता, उसे हम ब्राह्मण कहते हैं । 17. ब्राह्मण कौन ?
अलोलुयं मुहाजीवी, अणगारं अकिंचणं । असंसत्तं गिहत्थेसु, तं वयं बूम माहणं ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1421] . - उत्तराध्ययन 25/28
जो मनुष्य लोलुप नहीं है, जो मुधाजीवी (निर्दोष भिक्षावृत्ति से निर्वाह करता) है, जो गृहत्यागी है, जो अकिंचन है, जो गृहस्थों में अनासक्त है, उसे हम ब्राह्मण कहते हैं। 18. दुश्चरित्री, अशरण न तं तायन्ति दुस्सीलं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1421]
- उत्तराध्ययन 25/30 दुराचारी को कोई नहीं बचा सकता। 19. ब्राह्मण कौन ?
कोहा वा जइ वा हासा, लोभा वा जइ वा भया। मुसंन वयई जोउ, तं वयं बूम माहणं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 4 पृ. 1421]
- उत्तराध्ययन 25/24 जो क्रोध से, हास्य से अथवा भय आदि किसी भी अशुभ संकल्प से मिथ्याभाषण नहीं करता, उसे हम ब्राह्मण कहते हैं। 20. ब्राह्मण कौन ?
चित्तमंतमचित्तं वा, अप्पं वा जइ वा बहुं । न गिण्हेति अदत्तं जे, तं वयं बूम माहणं ॥
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग + पृ. 1421]
- उत्तराध्ययन 25/25 अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-4 . 61