Book Title: Yogasara Tika
Author(s): Yogindudev, Shitalprasad
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 11
________________ ३२६ ३२८ ניו צו [१६] नम विषय ५.५. आत्मज्ञानो सत्र शास्त्रका ज्ञाता है ५६. परभावका याग कार्यकारी है ५७. परम समाधि शिवसुग्वका कारण है ४. आत्मःयाल चार प्रकार है ... ९५. सामायिक चारित्र कथन ... १०८. रागद्वेष ग्राग सामायिक है ... १५१. छेदीपस्थापना चास्त्रि १०२. पबिहारविशुद्धि चारित्र १०३. यथान्यात मयम १०४, आत्मा ही पंचपरमेष्ट्री है १५.११. आत्मा ही ब्रह्मा विष्णु महेश है १०६. परमात्मा इत्र अपने ही देह में है ५८७. आत्माका दशन ही सिद्ध होने का उपाय है. १०८. ग्रंथकनीकी अन्तिम भावना ... १०९. टीकाकारको प्रशस्ति any יח, ה ר ३४८ מי ה, ימ, 7 ?ר,

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