Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 11
________________ १५ सातवेदनीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः १६ असातवेदनीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः १७ दर्शनमोहनीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः १८ चारित्रमोहनीयकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः १९ नरकायुःकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः २० तिर्यगायुःकर्मर हिताय श्री सिद्धाय नमः २१ ममुष्यायुःकमर हिताय श्री सिद्धाय नमः २२ देवायुःकर्मरहिता श्री सिद्धाय नमः २३ शुभनामकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः २४ अशुभनामकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः २५ उच्च गोत्रकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः २६ नीचगोंत्रकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः २७ दानान्तरायकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः २८ लाभान्तरायकर्मरहिताय श्री सिद्धात नमः २९ भोगान्तरायकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः ३० उपभोगान्तरायकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः ३१ वीर्यान्तरायकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः आ प्रमाणे खमासमण दइने पछी सिद्धना १५ भेद होवाथी १५ लोगस्स नो काउरसग्ग करे. आ पदनु ध्यान रक्तवर्णे करे. आ.पदनी अराधना करवाथी हस्तिपाल राजा तीर्थकर थया छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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