Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 29
________________ (२३) १० श्री सुविहितचांद्रादिलानां भक्तिकरणरूप श्रीविनयगुण प्राप्तेभ्यो नमः ११ , सुविहितचांद्रादिकुलानां ब्रहमान करणरूप श्रीविनय गुणप्राप्तेभ्यो नमः १२ , सुविहित वांद्रादिकुलानां स्तुति हरणरूप श्री विनयगुण प्राप्तेभ्यो नमः १३ ,, कोटिकादिगणोत्पन्न सुविहितमुनीनां अनाशातनाकर__णरूप श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः १४ ,, कोटिकादिगणोत्पन्न सुविहितमुनीनां भक्तिकरणतत्पर श्रीविनय गणप्राप्तेभ्यो नमः १५ , कोटिकादिगणोत्पन्न सुविहितमुनीनां बहुमानकरणत पर श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः १६ ,, कोटिकादिगणोत्पन्न सुविहितमुनोनां स्तुतिकरणतत्पर ___ श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः १७ , चतुर्विधसंघस्य आनाशातनाकरणरूप श्रीविनयगुण प्राप्तेभ्यो नमः १८ , समस्तसंघस्य भक्तिकरणतत्पर श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः १९ , समस्तसंघस्य वहमानकरणतत्पर श्रीविनयगणप्राप्तेभ्यो नमः 2. समस्तसंघस्य स्तुतिकरणलत्पर श्रीविनयग्रणमातेभ्यो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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