Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 66
________________ (६.) -: नेदवंदन विध :इच्छामि खमासमणो ! नदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मथएण मंदामि । इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! इरियावहिलं पडिक्कमामि ? इच्छं, इच्छामि पडिक्कमिउं ॥१॥ इरियावहियाए विराहणाए ॥२॥ गमणा गमणे ॥३॥ पाणक्कमणे, वोयक्कमणे, हरियक्कमणे, ओसाउत्तिगपणग-दग-मट्टी-मक्कडा संताणा-संकम ॥ ४ ॥जे मे जीवा विराहिआ ॥५॥ एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया चरिंदिया, पंचिदिया ॥६॥ अभिया, वत्तिया, लेंसिया संघाइया, संघट्रिया, परियाविया, किलामिया उद्दविय ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिरछामि दुक्कडं ॥७॥ तस्स उत्तरी करणणं, पायच्छित्त करणेणं, बिसोही करणेणं विसल्ली करणेणं, पावाणं कम्माणं निग्धायणदाए, ठामि काउ. सग्गं ॥१॥ .. अन्नत्थ ऊपसिएणं, नीससिएणं खासिएणं, छीएणं जंभाइएणं उड्डुएणं बायनिसग्गेणं भमलीए, पित्त मुच्छाए १ सुहुमेह अंगसंत्रालहिं सुहुमेहिं खेलसंजालेहि सुहुमेहि दिट्टिसंचालहि : एवमाइएहि आगारेहि, अभग्गो, अविराहिओ, हुज्ज मे काररसग्गं ३ जान अरिहताण भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि, ६ तार कायं ठाणेणं, मोणेणं, अप्पाणं वोसिरामि ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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