Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 86
________________ (८०) सवारमा ऊपर मुजब देववंदन करीने उपरथी सज्झाय कहेवी, बपोरे तथा साँजे सज्झाय कहेवी नहीं. इति देवनंदन विधि. -: पच्चवखारा पारवानी विधि :-- इच्छामि खमासमणो ! नंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मत्थएण दामि। इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! इरियावहियं पडिक्कमामि ? इच्छं, इच्छामि पडिक्कामिउं ॥१॥ इरियावहियाए विराहजाए ॥२॥ गमणा गमणे ॥३॥ पाणक्कमणे, बीयक्कमणे, हरियक्कमणे, ओसाउत्तिगपणग-दग-मट्टी-मक्कडा संताणा-संकमणे ॥४॥जे मे जीवा विराहिआ ॥५॥ एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चरिंदिया, चिदिया ।६॥ अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया उद्दवि• या ठाणाओ ठाण संकामिया, जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥७॥ तस्स उत्तरी करणेणं, पायच्छित्त करणेणं, विसोही करणेगं मिसल्ली करणेणं, पावाणं कम्माणं निग्धायणठाए, ठामि काउस्सग्ग।।१॥ अन्नत्थ ऊससिअणं नीससिअणं खासिअण छीॲणं, जंभाइअग उड्डअणं वायनिसग्गेणं भमलो पित्तमुच्छाओ, सुहमेंहि अंग संचाहिं सुहुमेहिं खेल संवाहिं सुहुमेहि दिठ्ठि संचाहिं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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