Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 74
________________ (६८) म काउस्सग्गा, जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि, ताव कार्य ठाणेणं मोऐणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि. ओंक नवकारनो काउस्सग्ग पारिने त्रीजी थोय आदि नमो पद सघले ठवीश, बार पन्नर बार वलीं छत्रीश, दश पणवीश सगवीश || पांच ने सड़सठ तेरे गणीश, सत्तर नव किरिया पचवीश, बार अट्ठावीस चउवोश ।। सित्तेर इगल पोस्तालीश, पांच लोगस्स काउस्सग्ग कहीश, नोकारवाली बीश ॥ अक ओक पदे उपवास ज वीश, मास खटे ओक ओली करोश, इम सिद्धांत जगीश ॥ ३ ॥ सिद्धाणं बुद्धाणं, पार-गयाणं परंपरगयाणं, लोअग्गमुवगयामं, नमो सया सव्व-सिद्धाणं १ जो देवाण वि देवो, जं देवा पंजली नमसंति तं देवदेव-महिअ सिरस गंदे महावीरं २ इक्कोवि नमुक्कारो, जिणवर-वसहस्त वद्धमाणस्स संसार सागराओ तारेइ नरं व तारि वा ३ उज्जित सेल-सिहरे, दिक्खानाणं निसीहिआजस्स, तं धम्म चक्कवट्ट, अनिमि नम॑सामि ४ चत्तारि अठ्ठ दस दोअ, नंदिआ जिणवरा चउग्गी, मरमठ्ठ निट्टि अठ्ठा, सिद्धा सिद्धि मम दिसँतु ॥ ५ ॥ auraarराणं संतिगराण सम्मदिठि समाहिगराण करेसि काउल्हागं । असत्य ऊससिएन, नीमसिएन, खासिएणं, छोएणं, जंभाइए, उदडुए गायनिलगोणं भमलीए, पित्त मुछाए १ सुमे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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