Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 43
________________ अथ षोडश जिनपद आराधन विवि दोष अढारे क्षय ग़याः उपना गुण जस अंग. वैयावच्च करीए मुदा; नमो नमो जिनपद संग. आ पदनी २० नवकारवाली ॐ नमः श्री विद्यमान जिनेश्रराय नमः अपदवडे गणवी. काउस्सरग २० लोगस्सनो करवो. खमासमण २० नीचे प्रमाणे बोलीने आपवा. १ श्री सीमंधरजिनेश्वराय नमः २ ,, युगमंधरजिने. राय नमः .३ ,, बाहुजिनेश्वराय नमः ४ ,, सुबाहुजिनेश्रराय नमः ५ , सुजातजिनेश्वराय नमः ६, स्वयंप्रभजिनेश्वराय नमः ७ , ऋषभाननजिनेश्वराय नमः ८ ,, अनंतवीर्यजिनेश्वराय नमः ९ , सुरप्रभजिनेश्वराय नमः १० , विशालजिनेश्रराय नमः ११ , वज्नधरजिनेश्वराय नमः १२ ,, चंद्राननजिनेशराय नमः १३ , चंद्रवाहुजिनेशराय नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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