Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 56
________________ (५०) चाकू, कातर, लेखण, खडीआ, पांच पदनी टोप, नवपदनी टीप, पाटी, पुस्तकना डाबड़ा विगेरे- शक्तिवाने २० ज्ञान भंडार कराववा. __ चारित्रना उपकरणो कटासणां, मुहपत्ति, चरवला, चरवली, चोलपट्टा, कपड़ कामली खभानी, डंडासण, सुपडी, डांडा, झोली, पड़ला पातरा, तरपणी, ठवणी, संथारीआ, नवकारवालोनी डाबर्ड स्थापनाचार्यना डाबढ़ा कंदोरा माटे दोरा विगेरे. अथ वीशस्थानकनु चैत्यवंदन पहेले पदे अरिहंत नमुं, १ बीजे सर्व सिद्ध २ ॥ प्रोजे प्रवचन मन धरो३, आचारज प्रसिद्ध ॥ १ ॥ नमो थेराणं पांचमे५ पाठक गुण छठू६ ॥ नमो लोओ सव्व साहूणं, जे छे गुण गरि ॥ २ ॥ नमो नाणस्स आठमे, दर्शन मन भावो ॥ विनय करो गुणवंतनो, चारित्र पद ११ ध्यावो ॥ ३ । नमो बंभवयधारिणं१२, तेरमे किरियाणं१३ ॥ नमो तवस्स चउदमें १४, गोयम १५ नमो जिणाणं १६ ॥४ चारित्र: ज्ञान १८सुअस्सा ने अ,नमो तित्थस्स २० जाणी । जिन उत्तम. पद पद्मने, नमतां होय सुखखाणी ॥ ५ ॥ अथ वौशस्थानक तपना काउसग़ानु चैत्यनंद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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