Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra
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हारे मारे जीजे पवयण गणो लोगस्स पीस्तालोश जो, चोथेरे ओयरियाणं छत्रीशनो सही रे लोल, हारे मारे थेरणं पद पांचमे दश उदार जो. छ? रे उवज्झायाणं जचवीशनो सही रे लोल. ॥२॥ सातमे नमो लोों सव्व साह सतानीश जो, अ ठमे नमो नाणस्स पंच भावशू रे लोल, हारे नवमें दरिसण सडसठ मनने उदार जो, दासे नमो विणयस्य दश वखाणीों रे लोल, ॥ ३ ।। हारे अग्यारमे नमो चारित्तस्स लोगस्स सत्तर जो, बार मे नमो बंभस्स नव गणो सही रे लोल, हारे किरयाणं पद तेरमें वली पचवीश जो, चौदमें नमो तवस्स बार गणो सही रे लोल. हारे पंदर में नमो गोयमस्स अट्टावीश जो, नमो जिणागं चउवीश गणशं सोलभे रे लोल, सत्तरमे नमो चारित्त लोगस्स सित्तेर जो, नाणस्सनो पद गणशं अकावन अढारमें रे लोल. ॥ ५॥ हारे ओगणोशमें नमो सुअस वीश पोस्तालीश जो, वींशमे नमो तित्थस्स वीश प्रभावशं रें लोल, हारें में तपनो महिमा चारशें ऊपर वीश जो, पट मासे अक ओली पूरी कोजियेरे लोल हारें तप करतां बली गणी दोय हजार जो, नवकारवाली वोशे स्थानक भावशं रे लोल,
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