Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 55
________________ (४९) श्री वींशस्थानक तप संबंधी उजमसानी विग़त शक्ति होय तो २० नवा देरासर बंधाववां शक्ति होय तो २० जीर्णोद्धार करावा. शक्तिवाने नीचे जणावेली दरेक वस्तु २०-२० मकवी. उजमणामां मूकवानी वस्तुओ. (देरासरने लगता उपगरणो.) थाल, रकेबी, वॉटकी, सुखंडना ककडा, केशर-बरामना पडीकां, ओरशीया, जिनबिव नवा. वीशस्थानकना गटा, सिद्धचक्रना गटा, मौरपीछौ, थाली, दीवी फानस, घूपधाणा, दंडासणकलश, कलशा, प्याला, सिंहासन, बाजोठना त्रिक, घंट. झालर, घंटेडी, त्रांवाकडी , आरती मंगलदीवी, पुंठीआ, चंदरवां तोरण घीतिआं, उत्तरासण, मुखकोष, अंगलुहणां, पाटलुहणां, ज़डेंलांतिलक, मुकुट आभरणो, बालाकुंची, नवकारवाली, आचमनी, अष्टमंगलिक, सोनाना वरगनी अने रूपाना वरगनी थोकडीओ, वासकुंपी, चामर, छत्रना त्रिको ध्वजा, हांडा, अगर वैसीनां पडीका अगरनों पडीकां पाटला बाजोठी, विगेरे. ज्ञानना उपकरणो. शक्ति होय तो धर्मशालाओ अथवा उपाश्रयो २० कराववा स्थापनाचार्य, ठवणी, सापड़ा, सापड़ो. बाजोंठी, पुस्तक, पाठां, चावखी, कवली, चंदरवा, पुंठोआ, तोरण, रुमाल, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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