Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 50
________________ (४४) अकोनविंशतितम श्रुतपद आराधन विधि . वक्ता श्रोता योगर्थी, श्रुत अनुभव रस पीन, ध्याता ध्येयनी कता, जय जय श्रुतसुखलीनं. आपदनी २० नवकार वाली ॐ नमो सुअस्स अ पदवडे नजवी. आ पदना आराधन माटे २० लोगस्सनो काउस्सग्ग करवो. आ पदना खमासमण २० नीचे प्रमाणे बोलीने आपवा. १ श्री पर्याय तज्ञानाय नमः २ ३ ४ ६ ५ 11 ९ १० ११ १२ 31 v " 33 ८ " संघातसमासश्रुतज्ञानाय नमः " प्रतिपत्तिश्र तज्ञानाय नमः प्रतिपत्तिस सामश्र तज्ञानाय नमः अनुयोगश्रुतज्ञानाय नमः अनुयोगसमासश्रुतज्ञानाय नमः For Private & Personal Use Only ,” पदश्रुतज्ञानाय नमः " पदसमासश्रुतज्ञानाय नमः ७ संघातश्रुतज्ञानाय नमः 11 पर्यायसमासश्र तज्ञानाय नमः अक्षर तज्ञानाय नमः अक्षरसमासश्रुतज्ञानाय नमः "1 11 Jain Education International 9 ७ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102