Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 48
________________ ४२ ३४ श्री दावैकालिकमूलसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ३५ ,, आवश्यकमूलसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ३६ , पिडनियुक्तिमूलसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ३७ , उत्तराध्ययनमूलसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ३८ , निशीथछेदसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ३९ , बृहत्कल्पछेदसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ४० ,, व्यवहारछेदसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ४१ पंचकल्पछेदसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ४२ ,, जोतकल्पछेदसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ४३ ,, महानिशीथछेदसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ४४ ,, नंदीसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ४५ , अनुयोगद्वारसूत्र श्रुतज्ञानाय नमः ४६ स्यादस्तिभंगप्ररूपकाय स्याद्वादश्रतज्ञानाय नमः ४७ स्याइनास्तिभंगप्ररूपकाय स्याद्वादश्रतज्ञानाय नमः ४८ स्यादस्तिनास्तिभंगप्ररूपकाय स्याद्वादश्रुतज्ञानाय नमः ४९ स्यादस्तिअवक्तव्यभंगप्ररूपकाय स्याद्वादश्रुतज्ञानाय नमः ५० स्यानास्तिअवक्तव्यभंगप्ररूपकाय स्याद्वादश्रुतज्ञानाय नमः ५१ स्यादस्तिनास्तिअवक्तव्यभंगप्ररूपकाय स्याद्वादश्रुतज्ञानाय नमः आ पदना आराधनथी सागरचंद तीर्थंकर पद पामेल छ आ पदनी महत्त्वतासूचक नीचे जणावेल पांच गाथाओ गुरुमुखती सांभलीने तेनो अर्थ तेनी नीचे लख्यो छ विवारवो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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