Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 41
________________ (३५) अथ चतुर्दश तपपद आराधन विधि. म खपावे चीकरणा, भाव मंगल तप जाण. वास लब्धि उपजे: जय जय तप गुराखारा आ पदनी २० नवकारवाली ॐ नमो तवस्स पदवडे णवी. आ पदना आराधननो काउस्सग्ग १२ लोगस्सनो करवो । पदना खमासमण १२ नीचे प्रमाणे बोलीने आपवा. श्री अणसणाभिषतपोयुक्ताय श्रीबाह्यतपोगुणाय नमः , ऊनोदरीतपोयुक्ताय श्रीबाह्यतपोगणाय नमः ,, वृत्तिसंक्षेपअनेकविधअभिग्रहधराय श्रीबाह्यतपोगुणाय नमः ,, रसत्यागरूपतपोयुक्ताय श्रीबाह्यतपोगुणाय नमः , कायकलेशलोचादिकष्ट सहकाय श्रीबाह्यतपोगुणाय नमः , संगीनताशरीरसंकोचकाय श्रीबाह्यतपोगुणाय नमः , प्रायश्रित्तग्राहकाय श्रो अभ्यंतरतपोगुणाय नमः ,, विनयगुणयुक्ताय श्रीअभ्यंतरतपोगुणाय नमः ,, वैयावचगणयुक्ताय श्रीअभ्यंतरतपोगुणाय नमः , सज्झायध्यानयुक्ताय श्रीअभ्यंतरतपोगुणाय नमः ,, आत्मध्यानरूप श्रीअभ्यंतरतपोगुणाय नमः ,, काउस्सग्गरूप श्रीअभ्यंतरतपोगुणाय नमः आ पदनुं ध्यान उज्ज्वल वर्णे करवं आ पदन आराधन स्वाथी कनककेतु राजा तीर्थकर थया छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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