Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ (२७) [थ अकादश चारित्र पद आराधन विधि नत्रयीं विणु साधना, निष्फल कही सदीवः वरयनुनिधान छ जय जय संयम जीव. आ पदनी २० नवकारवाली ॐ नमो चारितस्स अ पदवडे गणवो. आ पदना ७० भेद होवाथी ताउस्सग्ग ७० लोगस्सनो करवो. आ पदना खमासमण ७० नीचे प्रमाणे बोलीने आपंवा १ अर्वतः प्राणातिपातविरमणव्रतधराय श्रीचारित्राय नमः २ सर्वतः मृावादविरमणव्रतधराय श्रीचारित्राय नमः ३ सर्वतः अदत्तादानविरमणव्रतधराय श्रीचारित्राय नमः ४ सर्वतः मैंथनविरमणव्रतधराय श्रीचारित्राय नमः ५ सर्वनः परिग्रहविरमणवतधराय श्रीचारित्राय नमः ६ सम्यकक्षमागुणधराय श्रीचारित्राय नमः 9 सम्यग्मार्दवगुणधराय श्रीचारित्राय नमः ८ सम्यगार्जवगुणधराय श्री चारित्राय नमः १ सम्याक्तिगुणधराय श्री चारित्राय नमः • सम्यक्तपोगुणधराय श्री चारित्राय नमः १ सम्यक्संयमगुणधराय श्री चारित्राय नमः २ सम्यक्तत्यगुणधराय श्री चारित्राय नमः ३ सम्यकशौचगुणधराय श्री चारित्राय नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102