Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 37
________________ (३१) ६४,, स्वाध्यायकरणरूप अभ्यंतर तपोयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ६५,, शुभध्यानकरणरूप अभ्यंतर तपोयुक्ताय श्रीचारित्राय नमः ६६,, कायोत्सर्ग करणरूप अभ्यंतरतपोयुक्ताय श्रीचारित्राय नमः ६७ क्रोधजयकराय श्री चारित्राय नमः ६८, मानजयकराय श्री चारित्राय नमः ६९ ७० 11 मायाजयकराय श्री चारित्राय नमः लोभजयकराय श्री चारित्राय नमः 11 आ पदनु ध्यान उज्ज्वल वर्णे करवु आ पदना आराध थी वरुणदेव तीर्थङ्कर थया छे. [थ द्वादश ब्रह्मव्रतधारी पद आराधन विधि जनप्रतिमा जिनमंदिरां, कंचननां करे जेह. तथ बहु फल लहे; नमो नमो शिवल सुदेह. आ पदनी २० नवकारवाली ॐ नमो बंभवयधारिणं अ दवडे गणवी. आ पदना धाराधन माटे काउस्सग्ग १८ लोगसनो करवो. खमासमण १८ नीचे प्रमाणे बोलीने आपवा, मनमा औदा रिकविषय असेवनरूप श्रीब्रह्मचारिभ्यो नमः मनसा औदारिकविषय असेवानरूप श्रीब्रह्मचारिभ्यो नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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