Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 38
________________ ३ मनसा औदारिकविषम अननुमोदनरूप-श्रीबाह्मचारिभ्योममः ४ वचसा औदारिकविषय असेवनरूप श्री ह व्रतधारकेभ्यो नमः ५ वचसा औदारिकविषय असेवावनरूप श्रीब्रह्मवंतधार के. भ्यो नमः ६ वचसा औदारिकविषय अननुमोदनरूप श्रीब्रह्मव्रतधार केभ्यो नमः ७ लायेन औदारिकविषय असेवनरूप श्रीब्रह्मचर्यधारकेभ्यो नम ८ कायेन औदारिकविषय असेवावनरूप श्रीब्रह्मचर्यधारकेभ्योनम ९ कायेनऔदारिकविषय अननुमोदनरूप श्रीब्रह्मचर्यधारकेभ्यो न १० मनसा क्रियविषय असेवनरूप नोब्रह्मचारिभ्यो नमः ११ मनसा क्रियविषय अमेवावनरूप श्री ब्रह्मचारिभ्यो नम १२ मनसा क्रियविषय अननुमोदनरूप श्रीब्रह्मचारिभ्यो नम १३ वचसा क्रियविषय असेवनरूप श्रीब्रह्मव्रतधारकेभ्यो न १४ वचसा क्रियविषय असेवावनरुप श्रीब्रह्मवतधारकेभ्यो न १५ वचसाक्रियविनाय अननुमोदनरूप श्रीब्रह्मव्रतधारकेभ्यो न १६ कायेन क्रियविषय असेवनरूप. श्रीब्रह्मचर्यधराय नमः १७.कायेन क्रियविषय असेबाक्नरूप श्रीब्रह्मचर्यधराय नम १८ कामेन क्रियविषय. अननुमोदनरूप श्रीब्रह्मचर्य धराय नम आ पदना आराधनथी चंद्रवर्माराजा तीर्थङ्करपदने पम्या छ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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