Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ (३०) ४९ सरस आहारवर्ज काय श्री ब्रह्मव्रतयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ५० अतिमात्राहारवर्जकाय श्री ब्रह्मव्रतयुक्ताय श्री चारित्राय ५१ विभूषणादिशरीर शोभावजंकाय श्री ब्रह्मव्रतयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ५२ श्री सम्यग् ज्ञानगुणयुक्ताय श्रीचारित्राय नमः ५३,, सम्यग् दर्शनसहिताय श्री चारित्राय नमः ५४,, सम्यक् चारित्रगुणयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ५५,, अणसणतपोयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ५६,, उणोदरींतपोयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ५७,, वृत्तिसंक्षेप अभिग्रहधारकतपोयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ५८,, रसत्यागरूपतपोयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ५९,, लोचादिकायक्लेश सहनरूप तपोयुक्ताय श्रीचारित्राय नमः नमः ६० " संलीनता इन्द्रियवश्यकारकाय श्रीचारित्राय नमः ६१,, प्रायश्रित्तग्रहणरूप अभ्यंतरतपोयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ६२, विनयकरणरूप अभ्यंतर तपोयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ६३,, वैयावच्चाकरणरूप अभ्यंतरतपोयुक्ताय श्रीचारित्र. य नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102