Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 35
________________ (२९) ३३ श्रा आचायस्य वयावच्च करणरूप श्री चाारत्राय नमः ३४ ,, उपाध्यायस्य वयावच्चकरणरूप श्री चारित्राय नमः ३५ ,, तपस्वि-वैयावच्चकरणरूप श्री चारित्राय नमः ३६ ,, लघुशिष्यत्य वैयावच्चकरणरूप श्री चारित्राय नमः ३७ ,, ग्लानमुने बैंयावच्चकरणरूप श्री चारित्रीय नमः ३८ ,, स्थविरस्य वैयावच्च करणरूप श्री चारित्राय नमः ३९ , समनोजकसामाचारिकारकस्य वैयावच्चकरणर प श्री चारित्राय नमः ४० , श्रमणसंघस्य वयावच्चाकरणरूपं श्री चारित्राय नमः ४१ ,, चांद्रादिकुलम्य वैयावच्च करणरूप श्री चारित्राय नमः ४२ ,, कोटिकादिगणभ्य वैयावच्चकरणरूप श्रीचारित्राय नमः ४३ स्त्रीपशुपंड करहितसंतिवासि शुद्धब्रह्मवतयुक्ताय श्रीचा रित्राय नमः ४४ स्त्रीसहसरागवातीलापर्जकाय श्री ब्रह्मवतयुक्ताय श्रीची रित्राय नमः ४५ स्त्रीआसनवजाय श्रीब्रह्मवतयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ४६ स्त्रोसरागअंगोपांगनिरीक्षणवर्जकाय श्री ब्रह्मवतयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ४७ कुड्यांतरितस्त्रीपुरुषक्रीडास्थानवर्जकाय श्री ब्रह्मव्रत युक्ताय श्री चारित्राय नमः .४८ गृहस्थाश्रमे स्त्रीसंगक्रीड़ाविलासस्मरणवजकाय मा ब्रह्म व्रतयुक्ताय श्री चारित्राय नमः :: Fa ब्रह्मव्रतयक्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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