Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 34
________________ १४ सम्यग् अकिचनगुणधराय श्री चारित्राय नमः १५ सम्यग्ब्रह्मचर्यगुणधराय श्री चारित्राय नमः १६ पृथ्वीकाय जीवरक्षकाय श्री चारित्राय नमः १७ अपकारक्षकाय श्री चारित्राय नमः १८ तेउकायरक्षकय श्री चारित्राय नमः १९ वाउकायरक्षकाय श्री चारित्राय नमः २० वनस्पतिकायरक्षकाय श्री चारित्राय नमः २१ बेइन्द्रियरक्षकाय श्री चारित्राय नमः २२ तेइन्द्रियरक्षकाय श्री चारित्राय नमः २३ चउंरिंद्रियरक्षकाय श्री चारित्राय नमः २४ पंचेन्द्रियरक्षकाय श्री चारित्राय नमः २५ अजीवसंयमाय श्री चारित्राय नमः (२८) २६ प्रेक्षासंयमाय श्री चारित्राय नमः २७ उपेक्षासंयमाय आरंभ उत्सूत्र भाषणत्यागाय श्रीचारित्राय नमः २८ प्रमार्जनसंयमाय श्री चारित्राय नमः २९ पारिष्ठापन संयम उपयोगयुक्ताय श्री चारित्राय नमः ३९ मनः संयमयुक्ताय श्रीचारित्राय नमः ३१ वच्चन संयमयुक्ताय श्रीचारित्राय नमः ३२ काय संयमयुक्ताय श्रीचारित्राय नम. १. यतनापूर्ण वर्तव' ते. २. मनगुप्ति. ३. वचनगुप्ति ४. कायगुप्ति, For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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