Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 32
________________ ४५ श्रीमदुपाध्यायस्य आनाशातनाकरणरूप श्रीविनयगुणप्रा प्तेभ्यो नमः ४६ श्रीमदुपाध्यायस्य भक्तिकरणतत्पर श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ४७ श्रीमदुपाध्यायस्य बहुमान करणतत्पर श्रीविनयगुणप्राप्ते भ्यो नमः ४८ श्रीमदुपाध्यायस्य स्तुतिकरणतत्पर श्री विनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ४९ श्रीमद् गणावच्छेदकस्य अनाशातनाकरणरूप श्रीविनय गुणप्राप्तेिभ्यो नमः ५० श्रीमद् गणावच्छेदकस्य भक्तिकरणतत्पर श्री विनय गुणप्राप्तेभ्यो नमः ५१ श्रीमद् गणावच्छेदकस्य बहुमानकरणतत्पर श्रीविनयगुण प्राप्तेभ्यो नमः ५२ श्रीमद् गणावच्छेदकस्य स्तुतिकरणतत्पर श्री विनयगुण प्राप्तेभ्यो नमः आ पदनु ध्यान उज्ज्वल वर्णे करवू आ पदनु आराधन करवाथी धनशेठ तीर्थकर पद पाम्या छे. आ विनयपदना पांच, दश, तेर, बावन अने छासठ भे थाय छे, तेमांथी अहीं ऊपर प्रमाणे ५२ भेद लख्या छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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