Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 30
________________ (२४) २१ श्री शुद्धागमोक्त क्रियाकारकस्य अन ज्ञानाकरणरूप श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः २२, शुद्धागमोक्त क्रियाकारकस्य भक्तिकरणतत्पर श्रीविन यगुणप्राप्तेभ्यो नमः २३,, शुद्धागमोक्त क्रियाकारकस्य बहुमानकरणतत्पर श्रीविन यगुण प्राप्तेभ्यो नमः २४,, शुद्धागमोक्तक्रियाकारकस्य स्तुतिकरणतत्पर श्रीविन यगणप्राप्तेभ्यो नमः २५, जिनोक्तधर्मस्य अनाशातना करणरूप श्री विनयगुणप्रा भ्यो नमः जिनोक्तधर्मस्य भक्तिकरणतत्पर श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्य 17 नमः २७ जिनोक्तधर्मस्य बहुमान करणतत्पर श्रीविनयगुणप्राप्ते भ नमः २८, जिनोक्तधर्मस्य स्तुतिकरणतत्पर श्रीविनयगणप्राप्ते नमः २९,, ज्ञानगुणप्राप्तस्य अनाशातनाकरणरूप श्रीविनयगुणः प्तेभ्यो नमः ३० श्री ज्ञानगुणप्राप्तस्य भक्तिकरणतत्पर श्रीविनयगुणः नमः ३१,, ज्ञानगुणप्राप्तस्य बहुमानकरणतत्पर श्रीविनयग प्राप्तेभ्यो नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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