Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 28
________________ (२२) अथ दशम विनयपद आराधन विधि शौचमूलथी महागुरागी, सर्व धर्मनो सार; गुरण अनंतनो कंद श्रे, नमो विनय आचार. आ पदनी २० नवकारवाली ॐ नमः विनयगुणसंपन्नस्म ओ पदवडे गणवी. विनयपदा ५२ प्रकार होवाथी ५२ लोगस्सनो काउस्सग्ग करवो. खमासमण नीचे प्रमाणं पदो कहीने ५२ आपवा. १ श्रीतीर्थङ्कराणांअनाशातनारूप श्रीविनयगुणप्राप्तेिभ्योनमः २, तीर्थङ्कराणां भक्तिकरणरूप श्री विनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ३ ,, तीर्थङ्कराणां वहुमानकरणरूप श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ४, तीर्थंकराणां स्तुतिकरणरूप श्री विनय गुणप्राप्तेभ्यो नमः ५, सिद्धानां अनाशातनारूप श्री विनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ६ , सिद्धानां भक्तिकरणरूप श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ७,, सिद्धानां स्तुतिकरणरूप श्रीबिनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ८,, सिद्धानां बहुमानकरणरूप श्रीविनयगुणप्राप्तेभ्यो नमः ९, सुविहितचांद्रादिकुलानां अनाशातनारूप श्रीविनयगुण प्रान्तेभ्यो नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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