Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 23
________________ (१७) ३५ सादिश्रीश्रुतज्ञानाय नमः ३६ अनादिश्वीश्रुतज्ञानाय नमः ३७ सपर्यवसिश्रश्रुतज्ञानाय नमः ३८ अपर्यवसितश्रीश्रुतज्ञानाय नमः ३९ गमिक श्रीश्रुतज्ञानाय नमः ४० अगमिक श्रीश्रुतज्ञानाय नमः ४१ अंगप्रविष्ट श्रीश्रतज्ञानाय नमः ४२ अनंगप्रविष्टश्रीश्रुतज्ञानाय नमः ४३ आनुगामिकश्रीअवधिज्ञानाय नमः ४४ अननुगामिकश्रीअवधिज्ञानाय नमः ४५ वर्धमानश्री अवधिज्ञानाय नमः ४६ हीमानश्रीअवधिज्ञानाय नमः ४७ प्रतिपातिश्रीअवधिज्ञानाय नमः ४८ अप्रतिप्रातिश्रीअवधिज्ञानाय नमः ४९ ऋजुमतिश्रीमनः पर्यवज्ञानाय नमः ५० विपुलमति श्रीमानः पर्यवज्ञानाय नमः ५१ लोकालोकप्रकाशक श्री केवलज्ञानाय नमः आ पदनु ध्यान उज्ज्वलवर्णे करवं, आ पदनु आराधन कर वाथी जयंतराजा तीर्थङ्कर थयाछे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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