Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 24
________________ (१८) अथ नवम दर्शन पद आराधन विधि लोकालोकना भाव जे. केवलि भाषित जेह. सत्य करी अवधारतो, नमो नमो दर्शन तेह. आ पदनी २० नवकारवाली ॐ नमो दंसणस्स अ पदवडे गणवी. समकितना ६७ बोल होवाथी ६७ लोगस्सनो काउस्सग्ग करवो. खमासमण ६७ नीचे प्रमाणे बोलीने आपवा १ तच्वपरिचयरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः २ तज्जसेवारूप श्रीसभ्यग्दर्शनगुणधराय नमः ३ कुलिगिसंगवर्जनरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः ४ मिथ्यादर्शनिसंसर्गवर्जनरूप श्रीसभ्यग्दर्शनगुणधराय नमः ५ जिनागमश्रवणपरमइच्छारूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः ६ धर्मकरणे तीव्रइच्छारूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः ७ वयावृत्त्यकरणतत्पररूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः ८ श्री अरिहंतविनयकरणरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः ९, सिद्धविनयकरणरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः १० , जिनप्रतिमाविनयकरणरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः ११ ., श्रुतज्ञानविनयकरणरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः १२ ,, चारिवधर्मविनयकरणरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नमः १३ ,, साधुमुनिरोजविनयकरणरूप श्रीसम्यग्दर्शनगुणधराय नयः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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