Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 13
________________ (७) १२ भोगोपभोगपरिमाणव्रतयुक्ताय श्रीप्रवचनाय नमः १३ अनर्थदण्डबिरताय श्रीप्रवचनाय नमः १४ सामायिकव्रतयुक्ताय श्रीप्रवचनाय नमः १५ देश वगाशिकवतयुक्ताय श्रीप्रवचनाय नमः १६ पोसहोपवासतयुक्ताय श्रीप्रवचनाय नमः १७ अतिथिसंविभागवतयुक्ताय श्रीप्रवचनाय नमः १८ विधिसूत्रागमाय श्रीप्रवचनाय नमः १९ वणिकसूत्रागमाय श्रीप्रवचनाय नमः २० भयसूत्रागमाय श्रीप्रवचनाय नमः २१ उत्सर्गसूत्रागमाय श्रीप्रवचनाय नमः २२ अपवादसूत्रागमाय श्रीप्रवचनाय नमः २३ उभयसूत्रागमाय श्री रवचनाय नम २४ उद्यमसूत्रागमाय श्रीरवचनाय नमः २५ सर्वनयपमहात्मकाय श्रीप्रवचनाय नमः २६ सप्तभंगीरचनात्मकाय श्रीप्रचनाय नमः २७ द्वादशांगगणिपिटकाय श्रीप्रवचनाय नमः आ पद ध्यान उज्वल वणे करवू. आ पदनु ध्यान करवाथी जिनदत्त शेठ तीर्थङ्कर पदवी ने पाम्या छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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