Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 14
________________ (6) अथ चतुर्थ आचार्य पद आराधन विधि. छत्रीश छत्रीशी गुणे, युगप्रधान मुणीट जिनमत परमत जाणता' नमो नमो ते सूरींद. आ पदना ३६ गुण होवथी काउस्सग्ग ३६ लोगस्सनो करवो. २० नवकारवाली ॐ नमो आपरियाणं ओ पदनी गणवी खमासमण ३६ नीचे प्रमाणे कहोने आपवा. १ प्रतिरूपगुणधराय श्रीआचार्याय नमः २ तेजस्विगुणधराय श्रीआचार्याय नमः ३ युग प्रधानागमाय श्रीआचार्याय नम : ४ मधुरवाक्यगुणधराय श्रीआचार्याय नमः ५ गम्भीरगुणधराय श्रीआचार्याय नमः ६ सुबुद्धिगुणधराय श्रीआचार्याय नमः ७ उपदेशतत्वराय श्रीआचार्यांय नमः ८ अपरिश्राविगुणधराय श्रीआचार्याय नमः ९ चन्द्रवत्सौम्यस्वगुणधाराय श्रीश्राचार्याय नमः १० विविधाभिग्रहमतिधराय श्रीआचार्यांय नमः " ११ अविकथकगुणधराय श्रीआचार्यय नमः १२ अचपल गुणधराय श्रीआचार्याय नमः १३ संयमशीलगुणधराय श्रीआचार्याय नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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