Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 16
________________ ३५ , श्री बोधिदुर्लभभावनाभाविताय श्रीमदाचार्याय नमः ३६ ,, धर्मसाधकअरिहंतदुर्लभभावनाभाविताय श्रीमदाचार्याय __ नमः आचार्यपदनुं ध्यान पीतवर्णे करवू से पदनु ध्यान कर. वाथी पुरुषोत्तम राजा तीर्थकर थया छे. अथ पंचम स्थविर पद आराधन विधि तजी परपरि ति रमणता, लहे निज भावस्वरू स्थिर करता भविलोकने; जय जय स्थविर अन् ___ आ पदनी २० नवकारवाली ॐनमो थेराणं आ पद बोलं गणवी. आ पदना आराधन माटे १० लोगस्सनो काउस करवे आ पदना १. खमासमण नीचे प्रमाणे बोलीने आपव १ सौकिकस्थविरदेशकाय श्रीलोकोत्तरस्थावराय नमः २ देशस्थविरदेशकाय श्रीलोकोत्तरस्थविराय नमः ३ ग्रामस्थविरदेशकाय श्रीलोकोत्तरस्थविराय नमः ४ कुलस्थविरदेशकाय श्रीलोकोत्तरस्थविराय नमः ५ लौकिककुलस्थविरदेशकाय श्रीलोकोत्तरस्थविराय नमः ६ लौकिकगुरुस्थविरदेशकाय श्रोलोकोत्तरस्थविराय नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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