Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 17
________________ (१) ७ श्री लोकोत्तरश्रीसंघस्थविगय नमः ८ ., लोकोत्तरपर्यायस्थविराय नमः ९ ,, लोकोत्तरश्रुतस्थविराय नमः १० , लोकोत्तरवयस्स्थविराय नमः आ पद ध्यान गौरवणे करव. आ पदनु आराधन करवायी पद्मोत्तर राजा तीथर थया छे. अथ षष्ठ उपाध्याय पद आराधन विधि. बोध सूक्ष्म विरा जीवन न होय तत्त्वप्रतीत। भगे भगवे सूत्रने' जय जय पाठकगीत ॥ आ पदनी नवकारवाली २० ॐ नमो उवज्झायाणं ओ पदवडे गणवी. आ पदना गुण २५ होवाथी २५ लोगस्सनो काउसग्ग करवो. खमासमण २५ नीचे प्रमाणे बोलीने आपव १ श्री आचारांगश्रतपाठक श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः २ , सुअगडांगश्रुतपाठक श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः ३ , ठाणांगश्रुतपाठक श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः ४ ,, समवायांगश्रुतपाठक श्रीउपाध्यायेभ्यो नमः ५, विवाहपन्नतिअङ्गश्रुतपाठक श्री उपाध्यायेभ्यो नमः ६ ,. ज्ञाताधर्मकथाङ्गश्रुतपाठक श्री उपाध्यायेभ्यो नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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