Book Title: Vishsthanak Tap Vidhi
Author(s): Punyavijay
Publisher: Bhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra

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Page 10
________________ अथ द्वितीय सिद्धपद आराधन विधि गुण अनंत निर्मल थया, सहज़ स्वरूप उजास। अष्ट कर्ममल क्षय करी; भये सिद्ध नमो तास । सिद्धपदना ३१ गुण होवाथी खमासमण ३१ नीचे प्रमाणे कहीने आपे अने २० नवकारवाली नमो सिद्धाणं पदनी गणे. १ मतिज्ञानावरणीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः २ श्रुतज्ञानावरणीयकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः ३ अवधिज्ञाननावरणीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः ४ मनःपर्यवज्ञानावरणीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः ५ केवलज्ञानावरणीयकर्मरहिताय श्रीसिद्धाय नमः ६ निद्रादर्शनावरणीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः ७ निद्रानिद्रादर्शनावरणीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः ८ प्रचलादर्शनावरनीयकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः ९ प्रचलाप्रचलादर्शनावरणीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः १० वीणद्धिदर्शनावरणीयकर्मरहिताय श्री सिद्धाय नमः ११ चक्षुर्दर्शनावरणीयकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः १२ अचक्षुदर्शनावरणीयकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः १३ अवधिदर्शनावरणीयकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः १४ केवलदर्शनावरणीयकमरहिताय श्री सिद्धाय नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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