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नमः सिद्धेभ्यः विद्वद्रत्नमाला।
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जिनसेन और गुणभदाचार्य।
हम अपने पाठकोंको इस लेखमें ऐसे दो महात्माओंका परिचय कराते हैं, जिनका सिंहासन जैनियोंके संस्कृत साहित्यमें बहुत ही ऊंचा समझा जाता है और जिन्होंने अपनी अपूर्व कृतिको संसारमें छोड़कर अपना नाम युगयुगके लिये अमर कर दिया है। इन अपारप्रज्ञावान् महात्माओंका नाम भगवजिनसेनाचार्य और भगवद्गुण. भद्राचार्य है।
. वंशपरिचय । इन महामुनियोंने किस जाति वा कुलमें जन्म लिया था, इसके नाननेका कोई साधन नहीं हैं। इन्होंने स्वयं अपने ग्रन्योंमें इस
तका उल्लेख नहीं किया है । मुनियोंको क्या आवश्यकता है कि, । अपनी गृहस्थावस्थाका स्मरण करें ? और उस समयके तथा पीके ग्रन्थकर्ताओंको जिन्होंने कि, उनका कुछ उल्लेख किया है, जेनसेन वा गुणभद्रके पारमार्थिक वंशका वर्णन करनेकी अपेक्षा उनके सासारिक वंशका परिचय देना कुछ विशेष महत्त्वका न जंचा