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पूर्वके कवि वा आचार्य। जिनसेनस्वामीने आदिपुराण व महापुराणकी भूमिकामें जिन बहुतसे कवियों तथा आचार्योंका स्मरण किया है, यहां हम उनका उल्लेख कर देना भी ऐतिहासिक दृष्टिसे उपयोगी समझते हैं:
१. सिद्धसेनकवि-इन्हें 'प्रवादिकरिकेसरी' विशेषण दिया है, जिससे मालूम होता है कि ये बड़े भारी नैयायिक व तार्किक विद्वान् होंगे। कई लोगोंका अनुमान है कि, ये प्रसिद्ध श्वेताम्बर तार्किक 'सिद्धसेनदिवाकर ही होंगे, जिन्होंने अनेक . न्यायग्रन्योंकी रचना की है। ___२. समन्तभद्र-इनकी कवियोंके, वादियोंके, गमकोंके और वाग्मीजनोंके शिरोमणि कहकर स्तुति की है। गन्धहस्तिमहाभाप्य, रत्नकरंड-श्रावकाचार और देवागम आदि ग्रन्योंके कर्ता यही गिने जाते हैं। न्यायशास्त्रके ये अद्वितीय विद्वान् हुए हैं।
३. श्रीदत्त- इन्हें बड़े भारी तपस्वी और वादिरूपीसिंहोंके भेदन करनेवाले बतलाये हैं। __४. यशोभद्र-इनके विषयमें कहा है कि, विद्वानोंकी समामें इनका नाम सुनते ही वादियोंका गर्व गलित हो जाता था।
५. प्रभाचन्द्रकवि—जिन्होंने चन्द्रोदय (न्यायकुमुदचन्द्रोदय) करके जगतको आल्हादित किया। प्रमेयमल्मातडके कर्ता भी ये ही समझे जाते हैं।
६. शिवकोटिमुनीश्वर-निसकेआराधनाचतुष्टय (भगवती आराधना) का आराधन करके यह संसार शीतीभूत वा शान्त हो गया ।