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माई सिंधुपतिके समयमें जिन्हें सिन्धुल सिन्धल सिन्धुराज कुमारनारायण और नवसाहसांक भी कहते हैं, हुए थे । सिन्धुल बड़े प्रतापशाली राजा थे। भक्तामरचरित्रमें इनकी वीरताकी बहुत कुछ प्रशंसा लिखी है। ये परमारवंशके मुकुटमाण थे । न्लेच्छ राजाओपर इन्होंने विजयश्री प्राप्त की थी । डॉक्टर बुन्हरने एफिग्राफिया इंडिकाकी पहली जिल्दके २२१-२२८ पृष्ठमें जो प्रशस्तिलेख प्रकाशित किया है, उसमें लिखा हैतस्यानुजो निर्जितहूणराजः श्रीसिन्धुराजो विजयार्जितश्रीः । श्रीभोजराजोऽजान येन रत्नं नरोचमाकम्पकृदद्वितीयम् ॥शा
पंचसंग्रहको प्रशस्तिसे यह भी मालूम पड़ता है कि सिन्धुराजने मुंजके पहले कुछ समय तक उज्जयनीका राज्य किया है क्योंकि इसमें जो " अवति सति" पढ़ दिया है, उससे सिंधुलमहाराजके राज्य करनेमें कोई संदेह नहीं रहता है । तब अनेक ग्रन्थों और शिलालेखोंमें
१. अनेक लोगोंका ऐसा मत है कि मुंज मोजके पितामह ये,परन्तु जैनमन्याले यह बात सिद्ध हो चुकी है कि मुंज भोजके पितृव्य और सिंधुराजके भाई थे। कई कयामन्यानं लिखा है की तिधुलके पिताके सन्तान नहीं होती थी,इसी लिये उन्होंने पहले एक मुंजके खेतमें पड़े हुए नवजात बालकको पालकर उस नाम मुंज रक्ता या । उसके थोड़े ही दिन पीछे उनके सिंधुलका जन्म हुना था । मुंन बुद्धिशाली था, और उत्तपर राजाज्ञा प्यार अधिक था, इसलिये उन्होंने उसीको रानकार्य सौंप दिया । पछि पिताके मर जानेपर सिंधुलके पराक्रमको देख मुंजको ईपां उत्पन्न हुई । इसलिये उन्होंने उसे देशसे निकाल दिया था और दूसरी चार लौटकर आनेपर नेत्र फोड़ दिये थे । अंपादस्थामें उनके भोजदेपने जन्म लिया था। परन्तु इतिहाससे इस कयाकी कई. बातोंमें विरोध पड़ता है।