________________
(९०)
पण्डितप्रवर आशाधर । "आशाधरो विजयतां कलिकालिदासः" इस ऋषितुल्य विद्वान्का नाम आशाधर था। आशाधरके पिताका नाम सल्लक्षण [ सलखण] और माताका नाम श्रीरत्नी था । जैनियोंकी ८४ जातियोंमें बघेरवाल नामकी एक जाति है। हमारे चरित्रनायकने इसी वघरवाल जातिका मुख उज्ज्वल किया था । सपादलक्ष देशमें मंडलकर नामका एक नगर है। पंडित आशाधरका जन्म उसी मंडलकर नगरमें हुआ था।
सपादलक्ष देशको भाषामें सवालख कहते हैं। नागौरके निकटका प्रदेश सवालखके नामसे प्रसिद्ध है । इस देशमें पहले चाहमान ( चौहान ) राजाओंका राज्य था । फिर सांभर और अजमेरके चौहान राजाओंका सारा देश सपादलक्ष कहलाने लगा था और उसके सम्बन्धसे चौहान राजाओंके लिये “ सपादलक्षीय नृपतिभूपति" आदि शब्द लिखे जाने लगे थे। __आशाधरके समयमें सपादलक्ष देशमें सांभरका राज्य भी शामिल था, यह उनके दिये हुए “ शाकंभरीभूपण" विशेषणसे स्पष्ट होता है । शाकंभरी झील जिसमें कि नमक पैदा होता है और जिसे
१-श्रीमानास्ति सपादलक्षविपयः शाकंभरीभूषण
स्तत्र श्रीरतिधाममण्डलकरं नामास्ति दुर्ग महत् । श्रीरल्यामुदपादि तत्र विमलव्याघेरवालान्वयात्
श्रीसल्लक्षणतो जिनेन्द्रसमयश्रद्धालुराशाधारः ॥१ २-प्राचीन कालमें "कमाऊंके" आसपासके देशको भी सपादलक्ष कहते थे।