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( ९२) उसका भी उल्लेख करते । अनगारधर्मामृतकी भव्यकुमुदचन्द्रिका टीका वि० सं० १३०० की बनी हुई है, जब कि उनकी आयु कमसे कम ६५ वर्षकी होगी, जैसा कि हम आगे सिद्ध करेंगे। इस अवन्याके पश्चात् पुत्र उत्पन्न होनेकी संभावना बहुत कम होती है। ___ आशावरने अपने ग्रन्याकी प्रशस्तियोंमें अपना बहुत कुछ परिचय दिया है । परन्तु किसीमें अपने जन्नका समय नहीं बतलाया है। तो भी उन्होंने अपने विषयमें जो बातें कहीं है, उनसे अनुमान होता है कि विक्रम संवत् ११३५ के लगमग उनका जन्न हुआ होगा।
निस समय गजनीके बादशाह शहाबुद्दीनगोरीने सारे नपाइल्स देशको व्याप्त कर लिया था, उस समय सदाचार भंग होनेक भयसे मुसलमानोंक अत्याचारके डरसे आशापर अपने परिवारके साय देश छोड़कर निकले थे, और मालवाकी धारा नगरीम आ बसे थे। उस समय माल्वाके परमारवंशके प्रतापी राजा विन्ध्यवर्माका राज्य था। वहां उनकी भुजाओंके प्रचंड बल्ले तीनों पुत्मार्थोंका साधन अच्छी तरहसे होता था। शहाबुद्दीन गोरीने ईस्वी सन् १९१३ में अर्थात् विक्रम संवत् १२४९ में पृथ्वीराजक्ने कैद करके दिल्लीको
१-लेच्छेशेन सपादलक्षविषये व्याप्ते वृत्तशतित्रासाद्विन्ध्यनरेन्ददो परिभल्लू त्रिवर्गाजनि। प्राप्तो नालबमंडले बहुपरीवारः पुरानावनात् यो वारानपत्रदिनामिनिवासानं नहावीरतः ॥५॥ प्रशस्तिनी टीनाने 'लेशन' काल "साहवदीन्नुल्लेन' लिखा है।