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किधिन्धापभितो गृह VII. 31.32c किष्टिधामभ्युपागमन VI. I 26.53d किलिक सामागतः सखे IV. 9 20b किष्किन्धाभुपाना नाग 1.04.38c किष्किन्ध पुनराप सः IV. 12.42d
पति गम्यताम् VI. 20. IId प्रति याहा VI. 122.16a पाप्य वेसम IV. 55.9C प्राबिशपरीम VI. I28.8gd प्राविश पुन: IV. I0.6b यः सम यास्त VI. 28.30a रामलक्ष्मण VI. 50.24d रामशासनात् IV 3.Id रामसहितः I Loc लक्ष्मणाग्रज: IV. I 3.1b वालिनस्तदा IV. IL.2:d वालिनः पुरीम् IV. 12.14b
, , IV. I.Ib ,, ,, IV. I.1.60 वारिपालिताम् IV. 13.20d
IV. 26.10b
VI. 123.23d ,, विशतुर्हृष्टी VII. 34.43c ,, ससुपागमन् VI. 128.88d
., समुपागम्य V. 35.39c किष्किन्धाया महाबल: IV. II.26b किष्किन्धाया विनिष्काम IV. 38.4a किष्किन्धाया बहिश्चरान IV. 31.17d कि कन्धा ह्यद्य शून्या च IV. 22.26a किष्किन्धेन पुरी रम्या IV. 20.70 किष्किन्धोपबनेऽपतत VII. 3.4.33d की च का नाम वेगवः IV. 43.37d कीदशं तस्य संस्थानम् V. 35.4a ,, तु तदा ब्रह्मन् VII. I0. IC ,. तु महापापम् V. 25.18a
कीदृशं हृदये तस्य VII. 43.17a कीदृशो वै प्रभावोऽस्य VII. I.33a कीर्ण तिमितिभिङ्गले: VI. 1.IIId
,, परवसेक्षितम् III. 25. [Ib कीर्णाः कनकबिन्दवः III. 61.39b कीर्णा विविध संस्थाने: I. I7.36c कीर्तयन्पुरुषः कश्चित् VI 105.25c कीर्ति चा प्रतिमा के I. 38.7c कीर्ति नाशश्च शाश्वत: VI. 67.70d कीर्ति नाम च नाशयेत् V. 26.1d ,, निपतितामिव V. 15.34d कीर्तिभूतां पताकां य: II. 44.7a कीर्तिमन्तः प्रणिहिता: I. 7.7c कीर्तिमन्तो महोत्साहा: I. 38.12c कीर्तिमन्तौ जये धृतो VI. 88.67d कीर्तिमाला यशस्विनी V. 13.42b कीर्तिमांश्च भविष्यति VII. 36.23d कीर्तिरातस्य राजर्ष: 1. 7I. I IC कीर्तिरातो महाबल: I. 7I.I ID कीर्तिरात्मवता यथा VI. II8.9d कीर्तिरात्मवतो ,, I. 53.13b कीर्तिर्नर मिवानृ जुम् III. 61.Iob कीर्ति लोके च शाश्वतीम् I. 34.3d कीर्तिों केषु पूज्यते VII. 45.13d कीर्ति स बहुवार्षिकीम् III. 6.13b कीर्ति समभिवर्धयन् II. 90.21d ,, स्थानं च शाश्वतम् VII. 83.7d कीर्त्यमानं महत्तप: I. 65.33d कीत्यर्थ तु समारम्भः VII. 45.14a कीा : कीर्तिः क्षमाक्षमा II. 44.15d कीर्यमाणः शरोघेण VI. 100.26a
, सुपुष्योधैः II. 16.38a कीर्य माणस्तदा ययौ VI. 62.2d कीर्यमाणेः सहस्रधा I. 43.22d कीयमाणो समन्ततः I. 26.20d
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