Book Title: Upsargahara Stotra Laghuvrutti
Author(s): Purnachandracharya, Bechardas Doshi
Publisher: Mohanlal Girdharlal Shah Bhavnagar
View full book text ________________
उपसर्ग हरस्तोत्र
॥ ७ ॥
Jain Education Internatid
पुरुषमानं दण्डं सप्ताभिमन्त्रितं कृत्वा सर्वसन्धिषु डंकिनं त्रिस्ताडयेत् - उत्थापयति । art ॐ को पोनृ ठः ठः इत्यनेन मन्त्रेण जलधारा देया, डंकमुत्थापयति । ऐं श्री लक्षमेकं जपेत्, पुरं क्षोभयति, परं रक्तपुष्पैः ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कलिकुण्डस्वामिने नमः, एष सर्वार्थसाधको नित्यजापाद् भवति । तथा ॐ नमो भगवते श्रीपार्श्वनाथाय क्षेमंकराय ही नमः । (एष) क्षेमंकरो मन्त्रः । उपसर्गहरस्तोत्रं विद्युतं संक्षेपतो गुरुमुखेन । विज्ञाय किमपि तत्त्वं विद्यावादाभिधग्रन्धात् ॥ १ ॥ ॥ इत्युपसर्गहरस्तोत्रलघुवृत्तिः पूर्णचन्द्राचार्यकृतिरियं समाप्ता ॥
For Private & Personal Use Only
लघुचिः
॥ ७ ॥
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116