Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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सुयोग्य गुरू के सुयोग्य शिष्य जिनोत्तम गणि है नाम, गुरू शिष्य की इस जोड़ी पर जिनशासन को नाज। अल्पवय और अल्पकाल में जिनके बड़े है काम, भविष्य के आचार्य जिनोत्तम चन्द्र का तुम्हें प्रणाम ।। पूज्य पंन्यासप्रवर श्री जिनोत्तम विजय जी गणिवर्य महाराज
मधुर प्रवचनकार है मुनिवर, मुनि जिनोत्तम नाम उत्तम, पारसमणि सुगुरू कृपा से, स्वर्णिम हो रहे जिनोत्तम । सुशोभित अब पंन्यास पद से, आचार्यप्रवर भी होंगे, गुरूवर मिले है, विराट् उनको क्यों न वे विराट् होंगे।।