Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 153
________________ * तस्याधारस्थानम्(१) उज्जुमईणं अणंते अणंतपएसिए खंधे जाणइ पासइ ते चेव विउलमई, अब्भहियतराए विउलतराए विशुद्धतराए वितिमिरतराए जारणइ पासइ । [नंदिसूत्र-१८] (२) तं सपासपो चउन्विहं पण्णत्तं । तं जहा-दव्वरो, खित्तमो, कालो, भावो। तत्थ दव्वप्रोणं उज्जमईणं अणंते प्ररणंतपएसिए खंधे जाणइ पासइ। ते चेव विउलमई अब्भहियतराए विउलतराए विसुद्धतराए वितिमिरतराए जाणइ पासइ । खेत्तोरणं उज्जुमई जहन्नेरण अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं अहे जाव ईमोसेरयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्ले खुड्डग पयरेउड्ढंजाव जोइसस्स उवरिमतलेतिरियं जाव अंतो मणुस्सखिते अड्ढाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पण्णरस्सकम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु छप्पण्णए अंतरदोवरणेसु सण्णीणं पंचिदियाणं पज्जत्तयाणं मणोगए भावे जाणइ पासइ । तं चेव विउलमइ अड्ढाइज्जेहिं अंगुलेहि अभहियतरं विउलतरं विसुद्धतरं वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ पासइ । कालोणं उज्जुमइ जहण्णेणं पलिग्रोवमस्स असंखिज्जइ भागं उक्कोसेणंवि पलिनोवमस्स असंखिज्जइ भागं अतीयमरणागय वा कालं जाणइ पासइ । तं चेव विउलमइ अब्भहियतरागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पासइ, भावग्रोणं उज्जुमइ अणते भावे जाणइ पासइ सव्वभावारणं अरणंतभागं जाणइ पासइ तं चेव विउलमइणं अभहियतरागं विउलरागं विसुद्धतरागं जाणइ पासमणपज्जवएणाण पुरण जण मण परिचितिपत्थपागडणं माणुसखित्तनिबद्धं गणा पच्चइयं चरित्तवनो सेतमरणपज्जवरणारणं । [नंदिसूत्र-१८] मूलसूत्रम् विशुद्धि-क्षेत्र-स्वामि-विषयेभ्योऽवधिमनःपर्याययोः ॥ १-२६ ॥ * तस्याधारस्थानम्--- भेद विसय संठाणे, अभितर वाहिरेय देसोही। उहिस्सय खयवुड्ढी, पडिवाई चेव अपडिवाई ॥ [प्रज्ञापना सूत्र पब-३३, गाथा-१]

Loading...

Page Navigation
1 ... 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166