Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 157
________________ मूलसूत्रम् सदसतोरविशेषाद् यदृच्छोपलब्धरुन्मत्तवत् ॥ १-३३ ॥ * तस्याधारस्थानम् से किं तं मिच्छासुयं । जं इमं अण्णारिणएहि, मिच्छादिट्टिएहि, सच्छंदबुद्धिमइ विगप्पि, इत्यादि। [नंदिसूत्र-४२] मूलसूत्रम् नेगम-संग्रह-व्यवहार सूत्र-शब्दाः नयाः ॥ १-३४ ॥ आद्यशब्दौ द्वि-त्रिभेदौ ॥ १-३५ ॥ * तस्याधारस्थानम् सत्तमूलणया पण्णत्ता। तं जहा-णेगमे, संगहे, ववहारे, उज्जुसूए, सद्दे, समभिरूढे, एवंभूए। [अनुयोगद्वार, सूत्र-१३६ । स्थानाङ्ग-स्थान-७, उद्देश-३, सूत्र-५५२] ॥ इति श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रस्य प्रथमाऽध्याये संगृहीते जैनागम प्रमारणरूप-आधारस्थानानि समाप्तम् ॥

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