Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 148
________________ (२) तं समासो दुविहं पण्णत्तं। तं जहा-पच्चक्खं च परोक्खं च । - [नंदिसूत्र-२] मूलसूत्रम् आद्ये परोक्षम् ॥ १-११॥ * तस्याधारस्थानम्(१) परोक्खे णाणे दुविहे पण्णत्ते। तं जहा-पाभिणिबोहिय णाणे चेव, सुयनाणे चेव । [स्थानाङ्ग-स्थान-२, उद्देश-१, सूत्र-७१] (२) परोक्खनाणं दुविहं पन्नत्तं। तं जहा-प्राभिणिबोहिय नाणं परोक्खं च, सुयनाणं परोक्खं च । [नंदिसूत्र-२२] मूलसूत्रम् प्रत्यक्षमन्यद् ॥ १-१२ ॥ * तस्याधारस्थानम्(१) पच्चखे नाणे दुविहे पन्नत्ते । तं जहा-केवलणाणे चेव, णो केवलणाणे चेव । णो केवलणाणे दुविहे पण्णत्ते। तं जहा-प्रोहिणाणे चेव, मणपज्जवणाणे चेव । __ [स्थानाङ्ग-स्थान-२, उद्देश-१, सूत्र-७१/२-१२] (२) नोइंदिय पच्चक्खं तिविहं पण्णत्तं। तं जहा-मोहिनाणपच्चक्खं, मणपज्जवनाणपच्चक्खं, केवलनाणपच्चक्खं ॥ [नंदिसूत्र-५] मूलसूत्रम् मतिः स्मृतिः संज्ञा चिन्ताऽभिनिबोध इत्यनन्तरम् ॥ १-१३ ॥ * तस्याधारस्थानम् ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेषणा । सन्ना सई मई पन्ना, सव्वं आभिणिबोहियं ॥ [नंदिसूत्र-३७, गाथा-८०]

Loading...

Page Navigation
1 ... 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166