Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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* तस्याधारस्थानम्
सम्महंस दुविहे पण्णत्ते ।
सम्मस चेव ।
मूलसूत्रम्
* तस्याधारस्थानम्
नव सब्भावपयत्था पण्णत्ते ।
जीवाजीवास्रवबन्धसंवरनिर्जरामोक्षास्तस्वम् ।। १-४ ।।
संवरो निज्जरा बंधो मोक्खो ।
मूलसूत्रम्
* तस्याधारस्थानम्
तं जहा - णिसग्ग- सम्मदंसणे चेव अभिगम
[ स्थानाङ्ग-स्थान-२, उद्देश - १, सूत्र - ७० / २]
मूलसूत्रम्
नाम-स्थापना द्रव्य भावतस्तन्न्यासः ।। १-५ ॥
तं जहा - जीवा प्रजीवा पुण्णं पावो प्रसवो
[स्थानाङ्ग-स्थान- ६, उद्देश - ३, सूत्र - ६६५ ]
(१) जस्थय जं जाणेज्जा, निक्खेवं निक्खिवे निरवसेसं । जत्थवि श्र न जाणेज्जा, चउक्कगं निक्खिवे तत्थ ॥
(२) श्रावस्सयं चउव्विहं पण्णत्ते । दव्वावस्त्यं, भावावस्सयं ।
* तस्याधारस्थानम् -
प्रमाण - नयैरधिगमः ॥ १-६ ॥
दव्वारणा सव्वभावा, सव्वपमाणेह जस्स उवलद्धा । सव्वाहि नयविहीहि, वित्थाररुइ त्ति नायव्वो ।
•
२
[ अनुयोगद्वार, सूत्र - ७ / १] तं जहा - नामावस्सयं, ठवणावस्सयं,
[ अनुयोगद्वार, सूत्र- ८ ]
[ उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन - २८, गाथा - २४]
)
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