________________
१६२ ]
सुखबोधायां तत्त्वार्थवृत्तौ तोरणद्वारा निर्गता गङ्गा। अपरस्मान्निर्गता सिन्धुः । भरतक्षेत्रगामिन्यावेते । तथोत्तरस्मात्तोरणद्वारान्निर्गता रोहितास्या अपरगा। महापद्मप्रभवा दक्षिणात्तोरणद्वारान्निर्गता रोहित्पूर्वगा, हैमवतक्षेत्रवर्तिन्याविमे। तदुदीच्यात्तोरणद्वारा निर्गता हरिकान्ताऽपरगा। तिगिञ्छह्रदप्रभवा दक्षिणात्तोरणद्वारान्निःसृता हरित्पूर्वगा, हरिवर्षगे एते। तदुत्तरात्तोरणद्वारान्निर्गता शीतोदाऽपरगा केसरिह्रदप्रभवा दक्षिणद्वारान्निर्गता शीता पूर्वगा, ते विदेहक्षेत्रवतिन्यौ। तदुदीच्यात्तोरणद्वारानिःसृता नरकान्ताऽपरगा। महापुण्डरीकह्रदप्रभवा दक्षिणद्वारान्निर्गता नारी पूर्वगा, रम्यकक्षेत्रनिवासिन्यावेते । तदुदीच्यात्तोरणद्वारानिर्गता रूप्यकूलाऽपरगा, पुण्डरीकह्रदप्रभवाऽपाच्यात्तोरणद्वारा निर्गता सुवर्णकूला पूर्वगा, ते हैरण्यवतक्षेत्रगे। तत्पूर्वात्तोरणद्वारान्निर्गता रक्ता, तत्प्रतीच्यात्तोरणद्वारान्निर्गता रक्तोदा, ते चैरावतक्षेत्रनिवासिन्यौ बोद्धव्ये । तासां परिवारनदीप्रमाणप्रतिपादनार्थमाहसरोवर के पूर्व तोरण द्वार से निकलती है । उसीके अपर तोरण द्वार से सिन्धु नदी निकलती है, ये दोनों गंगा सिंधु नदियां भरत क्षेत्र में बहती हैं । उसी पद्म सरोवर के उत्तर तोरण द्वार से रोहितास्या नदी निकलती है और पश्चिम समुद्र में जाती है । महापद्म सरोवर में उत्पन्न हुई रोहित नदी दक्षिण तोरण द्वार से निकलती है और पूर्व समुद्र में प्रविष्ट होती है । ये दोनों रोहितास्या रोहित नदियां हैमवत क्षेत्र में बहती हैं। उसी महापद्म सरोवर में उत्पन्न हुई हरिकान्ता नदी उसके उत्तर तोरण द्वार से निकलती है और पश्चिम समुद्र में जाती है । तिगिञ्छ सरोवर में उत्पन्न हुई हरित् नदी उसी के दक्षिण तोरण द्वार से निकलती है और पूर्व समुद्र में जाती है । ये दोनों हरिक्षेत्र में बहती हैं । उसी तिगिञ्छ सरोवर के उत्तर तोरण द्वार से निकली शीतोदा नदी पश्चिम समुद्र में जाती है । केसरी सरोवर में उत्पन्न हुई शीता नदी उसके दक्षिण तोरण द्वार से निकलती है और पूर्व समुद्र में जाती है। ये दोनों विदेह क्षेत्र में बहती हैं। उसी केसरी सरोवर के उत्तर तोरण द्वार से नरकान्ता नदी निकलती है और पश्चिम समुद्र में प्रविष्ट होती है । महापुण्डरीक सरोवर में उत्पन्न हुई नारी नदी उसके दक्षिण तोरण द्वार से निकलती है और पूर्व समुद्र में प्रविष्ट हो जाती है । ये दोनों नदियां रम्यक क्षेत्र में बहती हैं । उसी महापुण्डरीक सरोवर के उत्तर तोरण द्वार से रुप्यकला नदी निकलती है और पश्चिम समुद्र में प्रविष्ट होती है। पुण्डरीक ह्रद में उत्पन्न हुई सुवर्णकूला नदी उसके दक्षिण द्वार से निकलती है और पूर्व समुद्र में जाती है । ये दोनों हैरण्यवत क्षेत्र में बहती हैं । उसी ह्रद के पूर्व तोरण द्वार से रक्ता नदी निकलतो है, उसीके पश्चिम तोरण द्वार से रक्तोदा निकलती है, ये दोनों ऐरावत क्षेत्र में बहती हैं ।