________________
२५४ ]
सुखबोधायां तत्त्वार्थवृत्ती सम्बन्धो युक्तः । न च तथा द्रव्यत्वयोगात्प्रारद्रव्यमुपलभ्यते । यद्य पलभ्येत तर्हि सम्बन्धकल्पनमनर्थकं स्यात्तथा द्रव्यत्वमपि द्रव्यसम्बन्धात्प्राङ नोपलभ्यते । अतस्तयोरसतोर्न युक्तः सम्बन्धः । एतेन गुणसन्द्रावो द्रव्यमित्यप्यपास्तं गुणसमुदायमात्रद्रव्यवादिनो हि मते गुणेभ्यः पृथक्समुदायस्यानुपलम्भादगुणासम्भवे कर्तृ कर्मव्यवहारानुपपत्तेः । एतेन सामान्यविशेषाख्याज्जीवत्वसम्बन्धाज्जीवो न स्वत इत्यप्यत्रैव निरस्तं बोद्धव्यं पूर्वोक्तदोषानुषङ्गात् । अन्यस्तु विशेषो भाष्ये द्रष्टव्यः । प्रकृतधर्मादिभिर्बहुभिः सामानाधिकरण्याद्रव्याणीति बहुवचनेन निर्देशः कृतः । न चैवं पुल्लिङ्गप्रसङ्गो द्रव्य
द्रव्यत्व नाम के सामान्य विशेष द्वारा ही होता है ऐसा सिद्ध होता है, उस द्रव्यत्व के योग से [ द्रव्यत्व समवाय से ] द्रव्य कहलाता है न कि पर्याय के द्रवण से द्रव्य कहलाता है ?
समाधान-यह सर्व ही कथन युक्ति युक्त नहीं है, क्योंकि द्रव्यत्व योग का अभाव है । देखिये ! जैसे दण्डा का संबंध होने के पहले देवदत्त अपनी मनुष्यादि जाति आदि से सिद्ध रहता है, तथा देवदत्त के संबंध होने के पहले दण्डा अपने गोलपना, लंबाई आदि विशेष से प्रसिद्ध रहता है अतः उन दोनों का संबंध होना युक्त है। किन्तु वैसे द्रव्यत्व के संबंध के पहले द्रव्य उपलब्ध नहीं होता, यदि उपलब्ध हो जाय तो द्रव्यत्व संबंध की कल्पना व्यर्थ है, तथा द्रव्य भी द्रव्यत्व संबंध के पहले दिखाई नहीं देता अतः द्रव्य और द्रव्यत्व दोनों असत् हैं असत् का संबध संभव ही नहीं है ।
कोई परवादी गुण संद्राव को द्रव्य कहते हैं वह मत भी पूर्वोक्त रीत्या खंडित हुआ समझना चाहिये । गुण समुदाय मात्र को जो द्रव्य मानते हैं उनके मतमें गुणों से पृथक् समुदाय तो उपलब्ध होता नहीं, समुदाय के अभाव में गुण भी अभावरूप है उनमें कर्तृकर्म व्यवहार नहीं बनता । जैसे द्रव्यत्व के संबंध से द्रव्य सिद्ध नहीं होता वैसे जीवत्व नाम के सामान्य विशेष के संबंध से जीव द्रव्य है, जीव स्वतः ही नहीं होता इत्यादि मान्यता भी सिद्ध नहीं होती, इसमें वही पूर्वोक्त दोष आते हैं ।
इस विषय में विशेष कथन भाष्य ग्रन्थ में [ तत्त्वार्थ राजवात्तिक में ] देखना चाहिये ।
प्रकृत में धर्मादिक बहुत से हैं अतः उनके साथ सामान्याधिकरण होने से "द्रव्याणि" ऐसा बहुवचन रूप सूत्र निर्देश किया गया है । सामान्याधिकरण्य है तो