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पंचमोऽध्यायः
[ २८६ भावस्य दर्शनात् । यथा युतसिद्धयभावेऽपि पाणौ रेखा घटे रूपमित्यादिष्वाधाराधेयभावो दृष्टस्तथा लोकाकाशे धर्माधर्मावित्यादिष्वप्याधाराधेयभावसिद्धिर्न विरुध्यते । किं चानेकान्तात्तत्सिद्धिर्वेदितव्या । तद्यथा-पर्यायाथिकगुणभावे द्रव्यार्थिक प्राधान्याद्वययोत्पादाभावे स्यादनादिसम्बन्धावयुतसिद्धौ च धर्माधौं । द्रव्यार्थिकगुणभावे पर्यायाथिकप्राधान्यात्पर्यायाणां व्ययोदयसद्भावात्स्यान्नानादि सम्बन्धौ नायुतसिद्धौ चेत्यादि योज्यम् । ततः कथंचिदेवावगाह आधाराधेयभावस्य सिद्धो भवति । जीवपुद्गलानां तु सक्रियत्वान्मुख्योऽवगाहो वेदितव्यो यथा जले हंसस्येति । स्यान्मतं ते-यद्याकाशस्यावकाशदानसामर्थ्यमस्ति तर्हि तस्य सर्वत्र भावान्मूर्तानां परस्परप्रतिघातो न स्यात् । दृश्यते च वज्रादिभिर्लोष्टानां भिन्यादिभिश्च गवादीनाम् । ततोऽस्यावकाशदानसामर्थ्य हीयत इति । तन्न युक्त-स्थूलानामन्योन्यप्रतिघातोपपत्तेः । स्थूला हि परस्परतः प्रतिहन्यन्ते न सूक्ष्मास्तेषामन्योन्य
समाधान-यह कथन अयुक्त है । अयुत सिद्ध पदार्थों में भी आधार आधेय भाव देखा जाता है। इसीको बतलाते हैं- जैसे हाथ में रेखा है, घट में रूप है इत्यादि में युत सिद्धि नहीं है तो भी आधार आधेय भाव मानते ही हैं। इसीतरह लोकाकाश में धर्म अधर्म हैं, इत्यादि में आधार आधेय सिद्ध होता है, इसमें कुछ भी विरुद्ध नहीं है। तथा यह भी है कि आधार आधेय भाव अनेकान्त से सिद्ध होता है। कैसे सो ही बतलाते हैं—पर्यायाथिक नय को गौण करके द्रव्याथिकनय की प्रधानता से उत्पाद व्यय नहीं होने से धर्म अधर्म द्रव्य अनादि संबंध वाले अयुत सिद्ध हैं । तथा द्रव्यार्थिकनय को गौण करके और पर्यायाथिक नय की प्रधानता से पर्यायों में उत्पाद व्यय का सद्भाव होने से ये धर्म अधर्म द्रव्य अनादि संबंध वाले नहीं हैं और अयुत सिद्ध भी नहीं हैं । इसप्रकार लगाना चाहिये । अतः आधार आधेय भाव का अवगाह कथंचित् ही सिद्ध होता है । हां ! जीव और पुद्गल द्रव्य सक्रिय ( क्रियावान् ) हैं इसलिये उनमें मुख्य अवगाह जानना चाहिये, जैसे जल में हंस का अवगाह मुख्य है।
शंका-यदि आकाश में अवकाश दान की सामर्थ्य है तो आकाश सर्वत्र है अतः मूर्तिक पदार्थों का परस्पर में घात नहीं होना चाहिये । किन्तु उनका घात देखा जाता है। वज्रादि के द्वारा लोष्ट का एवं दिवाल आदि से गौ अश्व आदि का घात-रुकना देखने में आता ही है ? इस कारण उस आकाश के अवकाश दान का सामर्थ्य सिद्ध नहीं होता।
समाधान-यह कथन अयुक्त है। स्थूल पदार्थों का परस्पर में घात संभव है। क्योंकि स्थूल पदार्थ आपस में प्रतिघात करते हैं किन्तु सूक्ष्म पदार्थ ऐसे नहीं हैं, उनमें