Book Title: Tattvartha Vrutti
Author(s): Bhaskarnandi, Jinmati Mata
Publisher: Panchulal Jain

View full book text
Previous | Next

Page 610
________________ दशमोऽध्यायः [ ५६५ चारित्रानुयोगे-प्रत्युत्पन्ननयापेक्षयाऽव्यपदेशेन सिध्यन्तीति नास्त्यल्पबहुत्वम् । भूतविषयनयाश्रयणे चानन्तरचारित्रपरिग्रहे यथाख्यातचारित्राः सर्वे सिध्यन्तीति नास्त्यल्पबहुत्वम् । व्यवधाने च पञ्चचारित्रसिद्धा अल्पे । तेभ्यश्चतुश्चारित्रसिद्धाः संखय यगुणाः । प्रत्येकबुद्धबोधितबुद्धानुयोगे-अल्पे प्रत्येकबुद्धाः । ततो बोधितबुद्धाः संखघ यगुणाः । ज्ञानानुयोगे-प्रत्युत्पन्नभावप्रज्ञापनस्य केवलज्ञानी सिध्यतीति नास्त्यल्पबहुत्वम् । पूर्वभाव प्रज्ञापनस्य तु सर्वस्तोका द्विज्ञानसिद्धाः । तेभ्यश्चतुर्ज्ञानसिद्धाः संखये यगुणाः । तेभ्योऽपि त्रिज्ञानसिद्धाः संखये यगुणाः । एवं तावदविशेषेणोक्तम् । विशेषेण चोच्यते-सर्वस्तोका मतिश्रुतमनःपर्ययज्ञानसिद्धाः । ततो मतिश्रुतज्ञानसिद्धाः संखघ यगुणाः । ततोऽपि मतिश्र तावधिमन पर्ययज्ञानसिद्धाः संखघ यगुणाः । तेभ्यो मतिश्र तावधिज्ञानसिद्धाः संखय यगुणा इति ।। अवगाहनानुयोगे-सर्वस्तोका जघन्यावगाहनसिद्धाः । तेभ्य उत्कृष्टावगाहनसिद्धाः संखघ यगुणाः। ततो यवमध्यसिद्धाः संखये यगुणाः । अधस्ताद्यवमध्यसिद्धाः सङ्घय यगुणाः। तत उपरि चारित्र की अपेक्षा अल्पबहुत्व-प्रत्युत्पन्न नयकी अपेक्षा अव्यपदेश से सिद्ध होते हैं, अतः अल्पबहुत्व नहीं है । भूत विषय नयकी अपेक्षा अनन्तर चारित्र को ग्रहण करके कहे तो सभी यथाख्यात चारित्र से सिद्ध होते हैं अतः अल्पबहुत्व नहीं है। व्यवधान की अपेक्षा कथन करने पर पांचों चारित्रों को धारण करके सिद्ध होने वाले अल्प हैं और चारों चारित्रों को धारण करके सिद्ध होने वाले उनसे संख्यात गुणे हैं। प्रत्येक बुद्ध और बोधित बुद्ध की अपेक्षा अल्पबहुत्व-प्रत्येक बुद्ध सिद्ध अल्प हैं और उनसे संख्यात गुणे बोधित बुद्ध सिद्ध हैं। 4. ज्ञान को अपेक्षा अल्पबहुत्व-प्रत्युत्पन्न भाव प्रज्ञापन नयकी अपेक्षा केवल ज्ञानी सिद्ध होते हैं अतः अल्पबहुत्व नहीं है। पूर्वभाव प्रज्ञापन नयकी अपेक्षा तो सबसे थोड़े दो ज्ञान वाले सिद्ध हैं। उनसे संख्यात गुणे चार ज्ञान वाले सिद्ध हैं। उनसे भी तीन ज्ञान वाले सिद्ध संख्यात गुणे हैं । यह सामान्यतः कथन किया। विशेष से कथन करते हैं-सबसे थोड़े मतिश्रुत मनःपर्यय ज्ञान वाले सिद्ध हैं। उनसे संख्यात.गुणे मतिश्रत ज्ञान वाले सिद्ध हैं । उनसे मतिश्रुत-अवधि मनःपर्यय ज्ञानवाले संख्यात गुणे हैं । उनसे संख्यात गुणे मतिश्रुत अवधि ज्ञान वाले सिद्ध हैं। अवगाहना की अपेक्षा अल्पबहुत्व कहते हैं-सबसे थोड़े जघन्य अवगाहना वाले सिद्ध हैं। उनसे संख्यात गुणे उत्कृष्ट अवगाहना वाले सिद्ध हैं। उनसे संख्यात मणे

Loading...

Page Navigation
1 ... 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628