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तत्त्व- समुच्चय [ हिन्दी अनुवाद ]
मंगलाचरण
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अर्हन्तोंको नमस्कार 1
सिद्धों को नमस्कार ।
आचार्यों को नमस्कार ।
उपाध्यायों को नमस्कार ।
लोक में सर्व साधुओं को नमस्कार ||१||
यह पंचनमस्कार सर्वे पापका प्रणाशक है,
और समस्त मंगलका प्रथम मंगल है | २ ॥
चार मंगल है |
अन्त मंगल हैं ।
सिद्ध मंगल हैं ।
साधु मंगल हैं।
केवलि-प्रणीत धर्म मंगल है | ३ ||
चार लोकोत्तम हैं ।
अर्हन्त लोकोत्तम हैं ।
सिद्ध लोकोत्तम हैं ।
साधु लोकोत्तम हैं ।
केवलि -प्रणीत धर्म लोकोत्तम है ॥ ४ ॥
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