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तत्त्व-समुच्चय का शब्द-कोष
प्रारम्भ में मोटे टाइप में हिन्दी में मूल शब्द दिया गया है, साथ है। कोष्टक वाला शब्द उसका प्राकृत रूप है। इसके बाद डैश (-) के आगे पतले टाइप में अर्थ दिया गया है । अंकों में पहला अंक अध्याय का और डैश (-) के बाद का अंक गाथा की संख्या का द्योतक है ।
अगति - अधर्म द्रव्य का कार्य १-४ अग्निमित्र ( अग्गिमित्त) - राज्यकाल वसुमित्र सहित साठवर्ष १-७३ अचक्षु आ० (अचक्खू ) - दर्शनावरण कर्म का भेद १०-६ अचक्षुदर्शन ( अचक्खूदंसण) - दर्शन का एक भेद १०-६; १२- ३८ अचल (अचल)- दूमरे बलदेव १-५२; - छठे रुद्र १-५५ अचित्तगत (गद ) - चोरी का एक भेद २-१४ अचेल परीषह - ८-१२, १३ अचेलकत्व ( अच्चे लक्क ) - मुनि का एक मूलगुण ५-३० अच्युत ( अच्चुद) - बारहवां स्वर्ग १-२०; - मोलहवां स्वर्ग १-२२ अजित ( अजिय) -- दूसरे तीर्थकर १-४७ अजितनाभि (अजियणाभि ) - नौवें रुद्र १-५५ अजितंजय - कल्की का पुत्र, असुरदेव द्वारा धर्मराज्य करने के लिए रक्षा१-७८ अजितंधर (अजियंधर ) - आठवें रुद्र १-५५ अजीव ( अजीवो) - १-३: ९-१० अंजन ( अंजण ) - मुनि के लिए वर्य ४-५ अंजना ( अंजगा) - चौथी पृथ्वी का गोत्रनाम ५-५ अणु - एक प्रदेश ९-२० अणुव्रत (अणुव्वय ) - पाँच प्रकार के २-३, ४
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