________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कूटतुला - अचौर्याणुवत का अतिचार २-१५५ कूटमान ( कुडमाण) - अचौर्याणुनत का अतिचार २-१५ कूटलेखकरण ( कुडलेह करण ) - सत्याणुव्रत का अतिचार २-१३ कूटसाक्षित्व ( कुइसक्खिज्ज ) सत्याणुव्रत का अतिचार २-११ कृत ( कय ) - क्रिया-विशेष ३-२७ कृतिकर्म (किदिकम्म) ~ प्रणाम क्रिया ५-२५ कृत्तिका (कित्तिय) - नक्षत्र १-१६ कृष्ण (किह ) - ९ वे नारायण १-५३ कृष्ण ( किहा )-एक लेश्या १२-४७ केवल आवरण-ज्ञानावरण कर्म का भेद १० -४ केवलज्ञान (केवल जाण)-महावीर द्वारा प्राप्ति १-६५ केवलज्ञान ९-५; १२-३'५ केवलदर्शन - ९-४; १२-४ . केवल-दर्शनावरण - दर्शनाया कर्म का भेद १० -६ केवली - ११ -२७ केवली अनुबद्ध - केवलियों की परम्परा; अभाव १-६६ कोटिकोटि ( कोडाकोडी) - संख्या, वर्गकोटि १-४१; १७-२५ . कोपीन परिग्रह ( कोवीण परिगहो) - उत्कृष्ट श्रावक का दूसरा प्रकार ३-३५ कोत्कुच्य ( कुक्कुइय) - विकारोत्पादक वचन व अंगचेष्टा, अनर्थदण्डवत का
अतिचार २-२९ क्रियमाण ( कयमाणा)- निर्जराविशेष ७.३५ क्रिया (किरिया ) - संज्ञी जीव द्वारा ग्रहणयोग्य १२-६२ क्रीतकृत (कीयगड) ~ मुनि के लिए त्याज्य भोजन ४-२ क्रोध ( कोह ) - चार प्रकार का १२-२३ क्रोधादि (कोहाड) - चार प्रकार का कपाय ९-२३ क्षपक (ववा) - जीव, दशम गुणस्थानवर्ती ५१-२३ क्षय (खय) - कर्मों की अवस्थाविशेष ११-११ क्षायिक सम्यक्त्व (खाइय सम्मत्त) - १२-५५ क्षायोपशमिक ज्ञान (खय-उपसमिया) - मति आदि चार प्रकार का
For Private And Personal Use Only